चेन्नई। आईआईटी मद्रास में दो केंद्रीय मंत्रियों की उपस्थिति में हुए एक कार्यक्रम में संस्कृत वंदना गाए जाने पर विवाद हो गया है। दरअसल राज्य सरकार के कार्यक्रमों में परंपरागत रूप से तमिल वंदना ही गायी जाती है। विपक्षी पार्टियों ने सवाल उठाये हैं कि तमिल गाना क्यों नहीं गाया गया?
आईआईटी मद्रास के पास स्थापित होने जा रहे राष्ट्रीय बंदरगाह, जलमार्ग एवं तट प्रौद्योगिकी केंद्र (एनटीसीपीडब्ल्यूसी) के शिलान्यास के अवसर पर गणमान्य लोगों के पहुंचने के कुछ ही देर बाद छात्रों ने अभिवादन गीत के तौर पर दिवंगत कवि मुथुस्वामी दीक्षितार द्वारा रचित महा गणपतिम मनसा स्मरामि गाया।
आम तौर पर राज्य सरकार के कार्यक्रमों की शुरूआत केवल कवि मनोमानीम सुंदरम पिल्लई की रचना ‘तमिल थाई वज्थु’ से होती है और कार्यक्रम का अंत राष्ट्रगान के साथ होता है। कार्यक्रम में केंद्रीय सडक़ परिवहन व राजमार्ग, जहाजरानी तथा जल संस्थान मंत्री नितिन गडकरी, केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पी राधाकृष्णन और आइआइटी मद्रास के निदेशक भास्कर राममूर्ति भी मौजूद थे।
इस बीच एमडीएमके प्रमुख वाइको ने संस्कृत वंदना गाए जाने की आलोचना की और कहा कि किसी कार्यक्रम में संस्कृत को थोपना स्वीकार नहीं किया जाएगा। उन्होंने इसके लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की भी मांग की।
उन्होंने कहा कि दोनों केंद्रीय मंत्री इस घटना के लिए माफी मांगे क्योंकि सरकारी कार्यक्रमों में तमिल वंदना की ही परंपरा है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र सरकार विभिन्न तरीकों से संस्कृत और हिंदी को थोपने की कोशिश कर रही है।