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12 साल का ये बेटा बना जैन भिक्षु, फरारी में निकाली गई यात्रा

क्या आप ये सोच सकते हैं कि जिस छोटी सी उम्र में बच्चे खेलने-कूदने और खिलौने खेलने में व्यस्त होते हैं, दुनिया की तमाम परेशानियों से दूर सिर्फ अपने खेलने में ही मस्त होते हैं क्या उस उम्र में कोई बच्चा सभी सांसारिक सुखों को छोड़कर संत बनने के बारे में सोच सकता है? आपका जवाब होगा नहीं ऐसा कभी नहीं हो सकता लेकिन यह सच है। दरअसल, गुजरात के सूरत से एक ऐसा ही मामला सामने आया है। यहां के भव्य शाह अब परिवार को छोड़कर दीक्षा के रास्ते पर चल पड़े हैं।

7वीं कक्षा में पढ़ने वाले भव्य ने आखिरी बार अपने परिजनों से मुलाकात भी कर ली है। परिजन अपने बेटे को जीभर के निहार लेना चाहते थे। यही वजह रही कि जब भव्य की मुहूर्त यात्रा निकली तो शानदार तरीके से निकाली गई।

भव्य शाह के लिए पिता दीपेश शाह के मित्र जयेश देसाई ने विशेष रूप से फरारी भेजी थी। जिससे कि संसारिक सुखों का त्याग कर जैन संत दीक्षा लेने जा रहे भव्य जिसे गाड़ियों, परफ्यूम का शौक था। वह आखिरी बार उसे पूरा कर सकें। क्योंकि, अब दीक्षा ग्रहण करने के बाद भव्य सिर्फ पैदल ही चलेगा।

भव्य की शोभा यात्रा बहुत ही धूमधाम से खुली जीप में निकाली गई। भव्य शाह के पिता दीपेश शाह का कहना है कि भव्य पिछले डेढ़ साल से उनके गुरूजी के पास रह रहा था और उसे पता है वो जिस राह पर जा रहा है वहां कितनी कठिनाई हैं।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इससे पहले भव्य की बड़ी बहन ने भी दीक्षा का रास्ता अपनाया था। हीरा कारोबारी दीपेश शाह के परिवार में दो बेटे और एक बेटी है। बेटी प्रियांशी ने चार साल पहले ही 12 वर्ष की उम्र में ही दीक्षा लेकर घर-संसार त्याग दिया था और अब भव्य ने भी ऐसा ही किया। भव्य की दीक्षा 12 अप्रैल को पूरी होगी। आपको यह भी बता दें कि इससे पहले भी ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं, जिसमें कई बड़े घर के बच्चों ने इस प्रकार दीक्षा ग्रहण करने के लिए घर बार सब कुछ छोड़ दिया।

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Dileep Kumar
the authorDileep Kumar