लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने देश के 75वें स्वाधीनता दिवस के अवसर पर प्रदेशवासियों को बधाई देते हुए कहा कि यह हम सभी का सौभाग्य है कि देश की स्वाधीनता के ‘अमृत महोत्सव’ वर्ष का साक्षी बनने का अवसर प्राप्त हो रहा है। पराधीनता के खिलाफ एक लंबी लड़ाई व अनगिनत बलिदानों के कारण 1947 में देश स्वतंत्र हुआ। देश के अंदर अलग-अलग स्थानों पर बने स्वाधीनता आंदोलन से जुड़े शहीद स्मारक स्वाधीनता की कीमत के जीवंत गवाह हैं।
उन्होंने कहा कि कहीं झांसी में रानी लक्ष्मीबाई जी का नेतृत्व तो कहीं बलिया में मंगल पांडेय जी का नेतृत्व। देश के अलग-अलग हिस्सों में स्वाधीनता की सामूहिक लड़ाई का प्रतिफल है कि विदेशी हुकूमत को भारत छोड़ना पड़ा। वर्ष 1916 में लखनऊ में ही लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक जी ने ‘स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है, हम इसे लेकर ही रहेंगे’ का उद्घोष किया था। यह उद्घोष देश के स्वाधीनता आंदोलन का एक मंत्र बन गया था।
योगी ने कहा कि नेताजी सुभाषचंद्र बोस, सरदार वल्लभभाई पटेल, वीर सावरकर, डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जैसे स्वाधीनता संग्राम के अमर सेनानियों ने देश की इस लड़ाई को एक नई ऊंचाई प्रदान की। उत्तर प्रदेश इस निर्णायक लड़ाई का एक केंद्र बिंदु बना। स्वाधीनता के अमृत महोत्सव वर्ष में प्रवेश करने के साथ ही यह वर्ष चौरी चौरा की ऐतिहासिक घटना का शताब्दी वर्ष भी है। वर्ष 1922 में गोरखपुर के चौरी चौरा के नागरिकों ने विदेशी हुकूमत के खिलाफ एक निर्णायक लड़ाई को आगे बढ़ाया था। बलिया ने तो 1942 में ही स्वयं को स्वाधीन घोषित कर दिया था। काकोरी की घटना कभी विस्मृत नहीं हो सकती। लखनऊ से क्रांतिकारियों ने विदेशी हुकूमत के खिलाफ क्रांति का जो बिगुल बजाया था, उसकी परिणीति 15 अगस्त 1947 के रूप में देखने को मिली।
उन्होंने कहा कि स्वाधीनता के अमृत महोत्सव वर्ष में प्रवेश के साथ ही हम पीएम मोदी जी के नेतृत्व में ‘नए भारत, श्रेष्ठ भारत’ की परिकल्पना को साकार होते हुए देख रहे हैं। मैं सभी अमर सेनानियों को कोटि-कोटि नमन करते हुए विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। देश की बाह्य व आंतरिक सुरक्षा को सुदृढ़ बनाए रखने व भारत के नागरिकों को एक सुरक्षित माहौल प्रदान करने हेतु अपने प्राणों की आहुति देने वाले देश के वीर जवानों को मैं विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।