Other NewsTop News

यहां आज भी चिट्ठियां पहुंचाने के लिए किया जाता है कबूतर का इस्तेमाल

आपने फिल्मों या कहानियों में देखा-सुना होगा कि पुराने जमाने में किस तरह लोग अपना संदेश दूसरे तक पहुंचाने के लिए कबूतरों का प्रयोग करते थे। लेकिन आज फोन और इंटरनेट के जमाने में भी एक जगह है जहां अभी भी संदेश भेजने के लिए कबूतरों का इस्तेमाल किया जा रहा है। आपको ये बात सुनकर ताज्जुब हो रहा होगा लेकिन ये सच है।

ओडिशा का एक सरकारी महकमा आज भी कबूतरों को संदेश भेजने के लिए इस्तेमाल करता है। हम बात कर रहे हैं ओडिशा पुलिस की… यहां कबूतरों को संदेश भेजने के लिए आज भी इस्तेमाल किया जाता है। यहां पुलिस के पास 50 कबूतरों का एक समूह है, जो खास तौर पर एक जगह से दूसरी जगह संदेश ले जाने के लिए प्रशिक्षित है। हाल ही में इन 50 कबूतरों के लिए ट्रायल का आयोजन किया गया था।

इस दौरान पुलिस ने कबूतरों के जरिए भुवनेश्वर के ओयूएटी ग्राउंड से कटक तक संदेश भेजा। दरअसल, इस अभ्यास का मुख्य उद्देश्य आपदा प्रबंधन है। यदि किसी कारणवश मॉडर्न कम्युनिकेशन सिस्टम फेल हो जाए, तो पुलिस इस पारंपरिक माध्यम के जरिए अपने संदेशों का आदान-प्रदान कर सकती है।

बताया जा रहा है कि जब भी प्राकृतिक आपदा आई, कम्युनिकेशन सिस्टम ध्वस्त हुए, तब-तब कबूतरों के जरिए संदेशों का आदान-प्रदान किया गया। साल 1982 में ओडिशा के बंकी जिले में भीषण बाढ़ आई थी। उस वक्त सारे सिस्टम ध्वस्त हो गए थे। तब पुलिस ने कबूतरों के जरिए ही अलग-अलग जगहों पर संदेश भेजने का काम किया था।

इन कबूतरों को इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चर हेरिटेज की मदद से प्रशिक्षण दिया जाता है। कबूतर 75 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ सकते हैं।

=>
=>
loading...
Vineet Bajpai
the authorVineet Bajpai
Senior Reporter & Copy Editor