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BIRTHDAY : कभी जूस बेचता था इस दिगज्ज म्यूजिक कंपनी का मालिक, अंडरवर्ल्‍ड ने बनाया निशाना

संगीत की दुनिया में टी सीरीज नाम से तहलका मचाने वाले गुलशन कुमार की आज बर्थ एनिवर्सरी है

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र एक सफल इन्सान के पीछे उसकी कड़ी मेहनत और लगन छिपी होती है । कहते है न जब सोना तपता है तब वह और भी निखरता है। कुछ इसी तरह रहा गुलशन कुमार का जीवन, गुलशन कुमार भारतीय संगीत उद्योग में ऐसे समय पर कदम रखा जब ये उद्योग धीरे-धीरे लोकप्रिय हो रहा था| उन्‍होंने संगीत को एक नयी पहचान दी। गुलशन कुमार अपनी मेहनत,दूरदृष्टि और जज्बे से संगीत उद्योग को नयी ऊँचाइयों पर ले गए|  गुलशन कुमार आम जनता की नब्ज़ को पहचानते थे इसलिए उन्होंने लोगों को वही दिया जो वो चाहते थे| ऐसा कर उन्होंने संगीत उद्योग में नए जीवन और ऊर्जा का संचार किया|

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गुलशन कुमार का जन्‍म 5 मई 1951 को हुआ था. इनका पूरा नाम गुलशन कुमार दुआ था। गुलशान कुमार का जीवन बहुत ही संघर्षपूर्ण रहा लेकिन अपने संगीत के प्रति अपनी लगन से उन्‍होंने एक खास मुकाम हासिल किया. गुलशन शुरुआती दिनों में अपने पिता के साथ दरियागंज मार्केट में जूस की दुकान चलाते थे। जिसके बाद उन्‍होंने यह काम छोड़कर दिल्‍ली में ही एक कैसेट की दुकान खोली जहां वे सस्‍ते में गानों की कैसेट्स बेचते थे।

गुलशन कुमार गानों की कैसेट्स बेचने के बाद उन्‍होंने अपना खुद का सुपर कैसेट इंडस्‍ट्री नाम से ऑडियो कैसेट्स ऑपरेशन खोला लिया इसके बाद उन्‍होंने नोएडा में खुद की म्‍यूजिक कंपनी खोली और बाद में मुंबई शिफ्ट हो गये।

गुलशन कुमार जमीनी स्तर से जुड़े रहने के साथ ही उन्‍होंने अपनी उदारता का भी परिचय दिया. उन्‍होंने अपने धन का एक हिस्‍सा समाज सेवा के लिए दान किया और साथ ही वैष्‍णो देवी में एक भंडारे की स्‍थापना की जो आज भी वहां आनेवाले तीर्थयात्र‍ियों को भोजन उपलब्‍ध कराता है. गुलशन कुमार 1992-93 में सबसे ज्‍यादा टैक्‍स भरनेवालों में से एक थे। ऐसा माना जाता है. मुंबई के अंडरवर्ल्‍ड की जबरन वसूली की मांग के आगे झुकने से गुलशन कुमार ने मना कर दिया था, जिसके कारण 12 अगस्‍त 1997 को मुंबई में एक मंदिर के बाहर गुलशन कुमार की गोली मारकर हत्‍या कर दी गई थी।

गुलशन कुमार की हत्‍या में सह-संदिग्‍ध के तौर पर नदीम सैफी को नामजद किया गया था। हालांकि नदीम सैफी ने हमेशा खुद को निर्दोष बताते हुए यह कहा है कि उनका गुलशन कुमार हत्‍याकांड से किसी भी तरह का कोई जुड़ाव नहीं है। बता दें कि, नदीम सैफी अपने साथी श्रवण राठौर के साथ मिलकर नदीम-श्रवण के नाम से फ़िल्मों में संगीत देते थे।

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