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तूतीकोरिन हिंसाः अनिल अग्रवाल ने कहा- वेदांता और भारत को बदनाम करना चाहते हैं लोग

तूतीकोरिन हिंसा का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। अधिवक्ता जीएस मनी ने मांग की है कि अदालत अपनी निगरानी में हिंसा की सीबीआइ जांच कराए, क्योंकि राज्य पुलिस किसी भी सूरत में जांच निष्पक्ष तरीके से नहीं करने वाली है। मामले में अगली सुनवाई 28 मई को होगी।

तूतीकोरिन में हुई पुलिस फ़ायरिंग और पिटाई में मारे गए 13 लोगों की मौत और हगामे पर वेदांता के प्रमुख अनिल अग्रवाल का कहना है कि कुछ निहित स्वार्थ वाले लोग उनकी कंपनी वेदांता और भारत को बदनाम करना चाहते हैं।  साथ ही अनिल अग्रवाल ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि राज्य सरकार ने मामले की जांच आदेश के  दिए हैं उससे सारा सच बाहर खुद ही बाहर आ जायेगा।

तूतीकोरिन में वेदांता ग्रुप की कंपनी स्टरलाइट कॉपर के ख़िलाफ़ प्रदर्शनों पर पुलिस फ़ायरिंग और लाठीचार्ज में अब तक 13 लोग मारे जा चुके हैं. ये विरोध प्रदर्शन लंबे समय से जारी है।  स्थानीय लोगों का आरोप है कि स्टरलाइट कॉपर प्लांट से निकलने वाला खतरनाक औद्योगिक कचरा ज़मीन, हवा और पानी में प्रदूषण फैलाने के अलावा उनके स्वास्थ्य को भारी नुकसान पहुंचा रहा है जिससे लोगों की मौत भी हुई है, और वो चाहते हैं इसे बंद किया जाए।  कंपनी इन आरोपों से इनकार करती है।

तूतीकोरिन में अभी भी पुलिस की भारी संख्या मौजूद है और इंटरनेट अभी बंद है. राज्य सरकार ने घटना की न्यायिक जांच के आदेश दे दिए हैं। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ईके पलानीस्वामी ने भी गुरुवार को कहा था कि कुछ राजनीतिक नेता और असामाजिक तत्व प्रदर्शनों में घुस गए हैं और इसे ग़लत रास्ते पर ले गए हैं।  इस वक्तव्य की सोशल मीडिया पर कड़ी आलोचना हुई थी।

अनिल अग्रवाल ने गुरुवार को ट्विटर पर जारी एक वीडियो संदेश में तूतीकोरिन की घटनाओं को “दुर्भाग्यपूर्ण” और दुख देने वाला बताया था।

पर्यावरण के मुद्दे पर सवाल के जवाब में वेदांता का कहना है।  कंपनी स्वास्थ्य, सुरक्षा और पर्यावरण से जुड़े कड़े मानकों का पालन करती है और पिछले सालों में कंपनी ने प्रशासन और केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के सभी नियमों का पालन किया है।

स्थानीय लोग और कार्यकताओं ने कम्पनी  के इन दावों को बताया ग़लत …….

कंपनी ने सरकार और प्रशासन से आसपास के इलाकों में रहने वाले समुदायों और हमारे कर्मचारियों की सुरक्षा की अपील की है.”  तमिलनाडु के तूतीकोरिन से पहले उड़ीसा और छत्तीसगढ़ में भी अपने निवेश को लेकर वेदांता विवादों में रही है.

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