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देश दलहन में 3 साल में होगा आत्मनिर्भर : राधामोहन सिंह

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ग्वालियर| केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधामोहन सिंह ने यहां गुरुवार को कहा कि अगले तीन साल के भीतर देश दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भर हो जाएगा। भारत सरकार ने इस दिशा में कारगर कदम उठाए हैं। दाल की कमी दूर करने के लिए प्रधानमंत्री की पहल पर दलहन का बंफर स्टॉक स्थापित करने का निर्णय भी लिया गया है। उन्होंने यह बात मध्यप्रदेश के ग्वालियर में राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय में भारतीय मृदा विज्ञान संस्था के 81वें वार्षिक सम्मेलन एवं टिकाऊ दलहन उत्पादन पर चार दिवसीय विशेष संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में कही।

राधामोहन ने कहा कि दलहन उत्पादन की दिशा में सरकार के प्रयास फलीभूत हुए हैं। इस साल पिछले वर्ष के मुकाबले लगभग 75 प्रतिशत दलहन का ज्यादा उत्पादन हुआ है।वैज्ञानिकों ने दलहन की ऐसी प्रजातियां विकसित की हैं, जो 120 दिन में तैयार हो जाती हैं।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अगर भारत का भाग्य बदलेगा तो गांव से बदलेगा और इसे किसान बदलेगा। उन्होंने कहा, “हमारी सबसे बड़ी चुनौती यह है कि हम किसानों को आधुनिक, टेक्नोलॉजी युक्त कैसे बनाएं, जो आधुनिक आविष्कार हो रहे हैं, उन्हें खेतों तक कैसे पहुंचाएं।”

राधामोहन ने कहा कि भारतीय कृषि के आधारभूत प्राकृतिक संसाधन जैसे भूमि, जल की उपलब्धता और गुणवत्ता में हो रही कमी के साथ-साथ घटती जैव-विविधता और अप्रत्याशित जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप मृदा उत्पादन कारकों की प्रति इकाई लागत में वृद्धि और कृषकों के आर्थिक लाभ में कमी आ रही है।

उन्होंने कहा कि परिष्कृत कृषि पद्धति का कृषि में विशेष महत्व है। खेती की लागत में समुचित प्रयोग के लिए तथा कृषि उत्पादनशीलता बढ़ाने व उनकी क्षमता बढ़ाने के लिए जमीन के समुचित समतलीकरण, जल के समुचित उपयोग उर्वरकों की उचित मात्रा, समय पर बुआई, कीट व्याधियों के समुचित प्रबंधन द्वारा आधुनिक अचूक विधि का प्रयोग किया जाना चाहिए। टिकाऊ कृषि के लिए यह एक सवरेत्तम वैज्ञानिक विधि है।

सिंह ने बताया कि मृदा उत्पादन जल उत्पादकता, संसाधन प्रयोग क्षमता, पर्यावरण सुरक्षा तथा जलवायु परिवर्तन का प्रबंधन आज के प्रमुख मुद्दे हैं। वर्षा आधारित खेती को प्रधानता, तेजी से बढ़ती आबादी, जलवायु परिवर्तन, आधुनिक यंत्रों द्वारा सघन खेती, अधिक व असंतुलित आदान प्रयोग, भूमि का अधिक दोहन एवं प्रातिक संसाधनों की तेज गिरावट से पारिस्थिकीय असंतुलन से कृषि उत्पादन में गिरावट हो रही है।

उन्होंने कहा कि लागत प्रभावी नवाचारी पर्यावरण हितैषी एवं स्थिति विनिर्दिष्ट टिकाऊ पद्धतियों की खोज जरूरी है, ताकि कृषि वृद्धि दर अधिक टिकाऊ हो सके।

राधामोहन ने मुरैना स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में समेकित मधुमक्खी पालन विकास केंद्र का शिलान्यास किया। इस मौके पर सिंह ने कहा कि मधुमक्खी पालन कृषि मजदूरों सहित किसानों और अन्य लोगों के लिए एक बढ़िया समवर्गी व्यवसाय है और यह किसानों की आय बढ़ाने में काफी उपयोगी है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मधुमक्खी पालन में किसी बड़ी तकनीक, पूंजी या किसी ढांचागत संरचना की जरूरत नहीं होती, जबकि इसके चौतरफा लाभ हैं।

राधामोहन सिंह ने इसके पहले राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय, ग्वालियर के अंतर्गत मुरैना के आंचलिक कृषि अनुसंधान केंद्र में आयोजित किसान मेला सह प्रदर्शनी एवं मधुमक्खी पालन जागरूकता कार्यक्रम का भी उद्घाटन किया।

सिंह ने इस मौके पर कृषि तकनीकी सूचना केंद्र का भी शिलान्यास किया। इस अवसर पर सिंह ने कहा कि मध्य प्रदेश कृषि के क्षेत्र में राष्ट्रीय औसत के मुकाबले अधिक तेजी से आगे बढ़ा है।

राज्य के किसानों की मेहनत की बदौलत पिछले 4 वषरे में राज्य में कृषि की वृद्धि दर 18़ 95 से 25 प्रतिशत के बीच रही जो अपने आप में एक रिकार्ड है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता केंद्रीय पंचायतीराज एवं ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने की। उन्होंने कहा कि कृषि से देश की अर्थव्यवस्था जुड़ी है। कृषि को आगे बढ़ाना सरकार एवं कृषि वैज्ञानिकों की साझा जवाबदेही है

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Dileep Kumar
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