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जेपी हॉस्पिटल में 1 साल में 100 से ज्यादा किडनी ट्रांसप्लांट

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नोएडा| नोएडा स्थित मल्टी सुपर स्पेशियलिटी चिकित्सा संस्थान जेपी हॉस्पिटल ने पिछले एक वर्ष में 100 से अधिक लिवर एवं किडनी का सफल प्रत्यारोपण किया है। जेपी हॉस्पिटल के सी.ई.ओ. डॉ. मनोज लूथरा ने कहा, “जेपी हॉस्पिटल का शुभारंभ साल 2014 में हुआ था और हॉस्पिटल में ट्रांसप्लांट की शुरुआत साल 2015 में की गई थी और सिर्फ एक साल के अंदर ही जेपी हॉस्पिटल ने 107 सफल लिवर एवं किडनी प्रत्यारोपण कर नई उपलब्धि हासिल की है।”

उन्होंने कहा कि जेपी हॉस्पिटल के लिवर एवं किडनी विभाग के चिकित्सकों की टीम ने अंगों के प्रत्यारोपण से संबंधित कई अनोखी उपलब्धि हासिल की है और ‘एबीओ इंकंपैटिबल ट्रांसप्लांटेशन’ द्वारा दो भिन्न ब्लड ग्रुपों के बीच लिवर एवं किडनी प्रत्यारोपण की सफल सर्जरी उनमें से एक है।

वरिष्ठ लिवर ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. अभिदीप चौधरी ने कहा, “भारत में हर साल 30,000 रोगियों को लिवर ट्रासंप्लांट की जरूरत होती है, लेकिन वर्तमान में केवल 1,800 ट्रांसप्लांट ही हो पा रहे हैं। लिवर सिरोसिस होने का मुख्य कारण शराब है।”

उन्होंने कहा, “भारत में 40 फीसदी लोग सिरोसिस की वजह से लिवर की बीमारी से ग्रस्त हो रहे हैं और उनकी मौत हो रही है। इसी तरह लिवर को बीमार बनाने के अनेक कारणों में दूसरा सबसे बड़ा कारण ‘हेपेटाइटिस-सी’ का संक्रमित (काला-पीलिया) होना भी है जो उत्तरी भारत में अधिक देखने को मिलता है।”

लिवर ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. के.आर. वासुदेवन ने बताया, “क्रोनिक लिवर संबंधित बीमारी होने का तीसरा मुख्य कारण लिवर का फैटी होना है। एक आंकड़े के अनुसार, हर छह में से एक व्यक्ति फैटी लिवर का शिकार है और इस आंकड़े में भी तेजी से बढ़ोतरी हो रही है।”

जेपी हॉस्पिटल के यूरोलॉजी विभाग के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. अमित देवड़ा के अनुसार, “भारत में हर साल करीब 20,000 लोगों की किडनी खराब होती है, जिनमें से करीब 5,000 मरीजों को नई जिंदगी प्रदान की जा सकती है लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है। जब किडनी की कार्यक्षमता केवल 10 प्रतिशत रह जाती है तो उस अवस्था को किडनी फैल्योर कहते हैं और ऐसे में मरीजों के पास सिर्फ डायलिसिस या प्रत्यारोपण ही केवल एक रास्ता बच जाता है।”

वरिष्ठ नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. विजय कुमार सिन्हा ने कहा, “वर्तमान चिकित्सकीय अध्ययन यह बताता है कि मोटापे से न सिर्फ लोगों को मधुमेह एवं उच्च रक्तचाप की बीमारी होती है, बल्कि किडनी से जुड़ी कई बीमारियों के होने का खतरा भी बढ़ जाता है।”

 

 

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