Health

शिमला में ‘पीलिया’ के मरीजों में लगातार वृद्धि

jaundice-600x336शिमला | हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में पिछले कुछ सप्ताह से पीलिया पीड़ितों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। पीलिया पीड़ितों की संख्या का आंकड़ा 500 पार कर चुका है। शिमला में अधिकारियों को संदेह है कि पीने वाले पानी में सीवेज का पानी मिलने से ही यह रोग लगातार फैलता जा रहा है। उच्च न्यायालय ने भी इस संबंध में स्वयं संज्ञान लेते हुए गुरुवार को सरकार की ओर से स्थिति रिपोर्ट मांगी है।

उप महापौर टिकेंदर पंवार ने आईएएनएस को बताया कि अश्विनी पेयजल परियोजना के आसपास के क्षेत्र स्थित मल्याना का सीवेज ट्रीटमेंट संयंत्र जल प्रदूषण के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार है। मंगलवार को इस उपचार संयंत्र के एक ठेकेदार पर लापरवाही की आपराधिक शिकायत दर्ज कराई गई है। ठेकेदार पर सीवेज के दूषित पानी को निस्तारण किए बगैर नाले में बहाने का आरोप है। पंवार ने बताया कि सरकार द्वारा संचालित ट्रीटमेंट संयंत्र पानी के दोबारा उपयोग के लिए पुरानी तकनीक का इस्तेमाल करता है।

अश्विनी पेयजल परियोजना से शिमला की एक तिहाई आबादी को पानी की आपूर्ति की जाती है। स्वास्थ्य अधिकारी के अनुसार, पीलिया के अधिकतर मरीज छोटा शिमला, विकास नगर, न्यू शिमला और कसुमपति से है। सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य मंत्री विद्या स्टोक्स ने कहा कि सरकार पीलिया के प्रसार को रोकने के लिए कारगर और निवारक कदम उठा रही है।

उन्होंने बताया कि शिकायतों के बाद से ही अश्विनी संयंत्र को अस्थाई रूप से बंद कर दिया गया है। सर्तकता पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि राज्य में प्रयोगशाला न होने से किसी भी स्तर के पेयजल की जांच में हेपेटाइटिस का पता नहीं चल पाया है। उन्होंने कहा कि अश्विनी परियोजना का पानी सेहत के लिहाज से अच्छा नहीं है। इसकी वजह से शिमला में महामारी ने दो बार दस्तक दी है।

सीवरेज के इस दूषित पानी की वजह से वर्ष 2007, 2010 और 2013 में कई लोग हेपेटाइटस ‘ई’ और लिवर की समस्याओं से ग्रसित हुए हैं। 16,000 की अधिकतम आबादी के लिए बनाए गए शिमला शहर में 2011 की जनगणना के अनुसार 170,000 आबादी है। जिससे प्रति दिन करीब 30,090,000 लीटर सीवेज उत्पन्न होता है। जाहिर तौर पर सरकार को इसके लिए ठोस नीतियां बनानी चाहिए।

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