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नींद की आदतों में सुधार बच्चों में एकाग्रता बढ़ाने में कारगर

70 फीसदी बच्चों को नींद आने में दिक्कत, नींद की आदतों में सुधार बच्चों में एकाग्रता बढ़ाने में कारगर, 'हाइपरएक्टिविटी डिजॉर्डर'Baby sleeping with teddy bear

70 फीसदी बच्चों को नींद आने में दिक्कत

मेलबर्न| एकाग्रता में कमी से संबंधित ‘हाइपरएक्टिविटी डिजॉर्डर’ (एडीएचडी) के असर को कम करने में नींद अहम भूमिका निभा सकती है।समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, मडरेक चिल्ड्रेंस रिसर्च इंस्टीट्यूट (एमसीआरआई) ने एक शोध में कहा कि एडीएचडी के लक्षण 70 फीसदी ऐसे बच्चों में पाए गए, जिन्हें नींद आने में दिक्कत होती है।

70 फीसदी बच्चों को नींद आने में दिक्कत, नींद की आदतों में सुधार बच्चों में एकाग्रता बढ़ाने में कारगर, 'हाइपरएक्टिविटी डिजॉर्डर'
Baby sleeping with teddy bear

प्रमुख शोधकर्ता मेलिस्सा मुलरेनी के अनुसार, सोने के समय की नियमित आदतों में सुधार से एडीएचडी पीड़ित बच्चों में खास अंतर लाया जा सकता है।

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उन्होंने कहा कि शोधकर्ताओं ने संकेत दिया कि एडीएचडी ऐसे बच्चे, जिनकी दिनचर्या एक सी होती है, वे सोते समय कम परेशान रहते हैं और आसानी से सो जाते हैं।

रिपोर्ट में मुलरेनी के हवाले से कहा गया, “जिन बच्चों में अच्छी आदतें होती है, वे रात में सोते समय आम तौर पर बहस नहीं करते और लंबी व अच्छी नींद लेते हैं, जबकि दिन में वे ज्यादा चौकन्ने रहते हैं व कम सोते हैं।”

उन्होंने कहा, “यहां तक कि यदि आप अच्छी तरह से नहीं नींद लेते हैं, तो आप एडीएचडी की शिकायत के बगैर भी अच्छी तरह से ध्यान केंद्रित नहीं कर पाएंगे।”

मुलरेनी ने कहा, “हमारा ‘बॉडी क्लॉक’, जो हमें सोने के संकेत देती है, वह दिन के उजाले, तापमान व भोजन के समय जैसे बाहरी संकेतों से प्रभावित होती है।”

उन्होंने कहा, “अगर आपका सेट रूटीन है, जैसे- यदि आप ब्रश करते हैं और फिर पुस्तक पढ़ते हैं तो आपका शरीर इस रूटीन का आदी हो जाता है और आपके इस रूटीन के अनुसार ही आपको सोने की आवश्यकता महसूस होने लगती है।”

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