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चीन से भिड़ने को तैयार रक्षा मंत्रालय ने मांगा ये करोड़ों का बजट

चीन, चीन-भारत युद्ध, रक्षा मंत्रालय , GDP , CAG, वॉर वेस्टेज रिजर्व, नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक रिपोर्ट

नई दिल्ली। चीन और भारत के बिगड़ते रिश्तों के बीच रक्षा मंत्रालय ने जंग के लिेए अपनी कमर कस ली है। मंत्रालय ने केंद्र से युद्ध में हर तरीके से निपटने के लिए 20 हजार करोड़ रुपए के अतिरिक्त बजट की मांग की है। डोकलाम विवाद के 8 हफ्ते पूर होने पर ये मांग की गई है।चीन, चीन-भारत युद्ध, रक्षा मंत्रालय , GDP , CAG, वॉर वेस्टेज रिजर्व, नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक रिपोर्टइस साल केंद्र सरकार की ओर से 2,74,113 करोड़ रुपए का रक्षा बजट पेश किया गया था। ये बजट GDP का 1.62 प्रतिशत था जो पिछले साल के बजट से 6 प्रतिशत ज्यादा था। इस साल की शुरुआत में ही रक्षा सामानों के आयात से कस्टम ड्यूटी को हटा दिया गया था। इसकी वजह सेना को काफी पैसा खर्च करना पड़ता था। इस फैसले से देश में बन रहे सामानों और हथियारों का इस्तेमाल ज्यादा से ज्यादा किया जा सकता है।

रक्षा मंत्रालय के अनुसार, बजट का आधा हिस्सा उन्हें मिल चुका है जिसमें से एक तिहाई खर्च भी हो चुका है। रक्षा मंत्रालय ने सेना उप-प्रमुख को युद्ध से जुड़े हथियारों को खरीदने के लिए भी कहा था। वहीं सेना के सामान की खरीददारी में लालफीताशाही में कमी लाई गई है।
इससे पहले संसद में रखी गई नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG) की रिपोर्ट के मुताबिक कोई युद्ध छिड़ने की स्थिति में सेना के पास महज 10 दिन के लिए ही पर्याप्त गोला-बारूद होता है।

रिपोर्ट में 152 तरह के गोला-बारूद में से महज 20 प्रतिशत यानि 31 प्रकार का ही स्टॉक संतोषजनक पाया गया है। वहीं 61 तरह के गोला बारूद का स्टॉक चिंताजनक रूप से कम पाया गया है। आपको बता दें कि इससे पहले सेना को 40 दिनों का सघन युद्ध लड़ने लायक गोलाबारूद अपने वॉर वेस्टेज रिजर्व (WWR) में रखना होता था। 1999 में इसे घटा कर 20 दिन कर दिया गया था। ऐसे में ये रिपोर्ट गोलाबारूद की भारी किल्लत उजागर करती है।

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Sudha Pal
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