नई दिल्ली | सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार को हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड (एचजेडएल) की 29 फीसदी हिस्सेदारी बेचने से अगले आदेश तक के लिए मंगलवार को रोक लगा दी। मुख्य न्यायाधीश टी.एस ठाकुर, न्यायमूर्ति ए.के. सीकरी और न्यायमूर्ति आर. बानुमती की पीठ ने सरकार की खिंचाई करते हुए कहा, “इस समय हिस्सेदारी बेचने की क्या मजबूरी है? आप इतनी जल्दी में क्यों हैं? आपने 2002 में ही इसका निवेश करते हुए नियमों का उल्लंघन किया था, इसका मतलब यह नहीं है कि हम आपको कंपनी की बाकी हिस्सेदारी कानून में संशोधन के बिना बेचने देंगे।”
अदालत ने यह टिप्पणी महान्यायवादी मुकुल रोहतगी द्वारा एचजेडएल की बाकी हिस्सेदारी बेचने के सरकार के फैसले का बचाव करने के बाद की। रोहतगी ने सरकार के फैसले का बचाव करते हुए कहा कि 2002 में एचजेडएल के विनिवेश के बाद यह सरकारी कंपनी नहीं रह गई और सरकार की अब इस कंपनी का हिस्सेदार बने रहने में रुचि नहीं है। वहीं, याचिकाकर्ता नेशनल कन्फेडरेशन ऑफ ऑफिर्सस एशोसिएशन के वकील प्रशांत भूषण ने अदालत को बताया कि अगर 2002 में कोई गैर कानूनी कदम उठाया गया है, तो उसे आगे भी जारी नहीं रखा जा सकता। भूषण ने कहा कि बिना संसद की अनुमति के सरकार अपनी 29 फीसदी हिस्सेदारी नहीं बेच सकती।