काठमांडू | नेपाल के प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली ने अगले महीने प्रस्तावित अपनी भारत यात्रा को लेकर मंगलवार को कहा कि जब तक भारत-नेपाल सीमा पर नाकाबंदी जारी है, तब तक उनका भारत जाना उचित नहीं होगा। दक्षिणी नेपाल के तराई क्षेत्र में पिछले 5 महीने से मधेशी समुदाय के लोग संविधान में बदलाव की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं।
आंदोलनकारियों ने भारत-नेपाल सीमा पर स्थित 41 सीमा शुल्क दफ्तरों को बाधित कर दिया है। उनकी प्रमुख मांग प्रांतों के सीमांकन पर पुनर्विचार और आरक्षण के पैमाने में बदलाव करना है। गौरतलब है कि नेपाल के तराई क्षेत्र में देश की कुल 51 फीसदी जनसंख्या है, लेकिन उन्हें संसद में केवल एक तिहाई सीटें ही दी गई हैं, क्योंकि सीटों का निर्धारण जनसंख्या के आधार पर करने की बजाय क्षेत्रवार तरीके से किया गया है।
नेपाली मीडिया में जारी खबरों के मुताबिक, प्रधानमंत्री ओली अपने पहले विदेश दौरे पर फरवरी में भारत जानेवाले हैं, जिसकी तैयारियां की जा रही है। लेकिन वामपंथी प्रधानमंत्री ने अतिराष्ट्रवादी रुख दिखाते हुए मधेशियों की मांगों पर विचार करने में बेरुखी दिखाते हुए कहा है कि जब तक तराई की समस्या नहीं सुलझती, तब तक वे भारत का दौरा नहीं करेंगे।
मंगलवार को वरिष्ठ संपादकों के साथ अपने घर पर बातचीत करते हुए ओली ने उम्मीद जताई कि अगले कुछ दिनों में भारत-नेपाल सीमा से नाकेबंदी हटा ली जाएगी। उन्होंने एक बार फिर दोहराया कि जब तक तराई क्षेत्र में शांति स्थापित नहीं हो जाती, तब तक वह भारत का दौरा नहीं करेंगे।
मधेशी आंदोलनकारियों द्वारा सीमा की नाकेबंदी करने के कारण नेपाल में ऊर्जा, जरूरी वस्तुओं, दवाइयों वगैरह की काफी कमी हो गई है। भारत ने नेपाल से मधेशी आंदोलनकारियों की मांगों पर विचार करने को कहा है। वहीं, मधेशी नेताओं ने अपने आंदोलन को जारी रखते हुए बुधवार को जिला मुख्यालय तक आंदोलन के दौरान मारे गए लोगों की याद में कैंडिल मार्च निकालने की घोषणा की।