आसन व प्राणायाम शरीर को रखता है फिट व फाइन
योग व आसन में शरीर की लगभग हर समस्या का समाधान है। आज के इस मशीनी युग में हमारा अधिक समय कुर्सी व कम्प्यूटर पर ही बीतता है।
इसके अलावा जंक फूड का सेवन पाचन तंत्र को और भी दयनीय बना देता है। जिसका नतीजा पेट के आवश्यकता से अधिक बाहर निकलने के रूप में होता है।
यह भी पढ़ें- फिटनेस आदत नहीं जीवनशैली है, न करें समझौता
इससे फिगर तो खराब होती ही है, यह अनेक शारीरिक और मानसिक बीमारियों को भी आमंत्रित करता है। योग व आसन इस समस्या के समाधान में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।
आसन
सुविधानुसार सूर्य नमस्कार के चक्रों के नियमित अभ्यास से इस समस्या के उत्पन्न होने की आशंका खत्म हो जाती है। जानुशिरासन, वज्रासन, धनुरासन, सुप्त वज्रासन, मेरुवक्रासन, त्रिकोनासन तथा भुजंगासन के अभ्यास से इस समस्या का पूर्ण निदान संभव हो जाता है।
धनुरासन की अभ्यास विधि
पेट के बल जमीन पर लेट जाएं। दोनों पैर आपस में एक-दूसरे से जुड़े रहें। दोनों पैरों को घुटनों से मोड़ें। घुटनों तथा पंजों के बीच में एक फुट का अंतर रख कर दोनों पैरों के टखनों को हाथों से पकड़ें।
हाथों के सहारे दोनों पैरों के घुटने, जांघ तथा धड़ को क्षमतानुसार ऊपर उठाएं। श्वास-प्रश्वास सहज रखें। इस स्थिति में आरामदायक अवधि तक रुक कर वापस पूर्व स्थिति में आएं।
सावधानी
हर्निया, मोलाइटिस के रोगी यह अभ्यास न करें।
प्राणायाम
सहज कपालभाति, भस्त्रिका, अनुलोम-विलोम का अभ्यास बहुत लाभकारी होता है।
कपालभाति की अभ्यास विधि
किसी भी आसन में बैठ जाएं। दोनों हथेलियों को घुटनों पर ज्ञानमुद्रा में रखें। आंखों को ढीला बंद करें। नासिका से एक हल्के झटके से श्वास बाहर निकालें तथा नासिका द्वारा सहज श्वास अंदर लें।
यह कपालभाति की एक आवृत्ति है। 25 आवृत्तियों का एक चक्र करें। एक चक्र के बाद दो-तीन गहरी श्वास लेकर दूसरे चक्र का अभ्यास करें। धीरे-धीरे चक्रों की संख्या बढ़ाते जाएं।
सावधानी
उच्च रक्त चाप, हृदय रोगी, हाइपर थाइरॉएड के रोगी इसका अभ्यास न करें।