Lifestyle

सोशल मीडिया की लत कोकीन के नशे से कम नहीं

B1KEKX young woman looking at Facebook website on laptop computer. Image shot 2008. Exact date unknown.

B1KEKX young woman looking at Facebook website on laptop computer. Image shot 2008. Exact date unknown.

नई दिल्ली | क्या फेसबुक या दूसरे सोशल मीडिया की लत कोकीन या जुए जितनी खतरनाक हो सकती है? अगर केलीफरेनिया स्टेट विश्वविद्यालय-फुलरटोन के शोधकर्ताओं की मानी जाए, तो जवाब है- हां। उनका कहना है कि सोशल मीडिया का नशा किसी पुरानी लत के समान है, जो आसानी से नहीं छूटती। यह शोध साइकोलॉजिकल रिपोर्ट्स : डिजेबिलिटी एंड ट्रामा नाम के जर्नल में प्रकाशित किया गया है। इसमें कहा गया है कि सोशल मीडिया का नशा जुए के नशे की तरह ही है। भारत में इंटरनेट का बढ़ते प्रयोग के कारण कई युवा समाज से कटकर सोशल मीडिया में व्यस्त रहते हैं।

आइए देखते हैं कुछ उदाहरण। कृष्णा (परिवर्तित नाम) राजधानी के एक 15 वर्षीय किशोर है जो हाल ही में मैक्स हेल्थकेयर के मेंटल हेल्थ एंड विहेविरियल साइंस के निदेशक समीर मल्होत्रा से मिला। वह रोजाना लगभग 16 घंटे फेसबुक पर बिताता था। इसके कारण उसके व्यक्तित्व में जुनूनीपन पैदा हो गया और वह जीवन की पढ़ाई समेत दूसरी प्राथमिकताओं की उपेक्षा करने लगा। डॉ. मल्होत्रा ने मीडिया को बताया, “मैंने कई युवाओं को सोशल मीडिया के नशे के गिरफ्त में देखा है। कृष्णा के मामले में मैंने उसे परामर्श और दवा के माध्यम से इलाज किया ताकि वह सकारात्मक कामों में अपनी ऊर्जा का इस्तेमाल करे।” उन्होंने बताया कि फेसबुक का नशा कोकीन के नशे की तरह है।

फोर्टिस हेल्थकेयर के मेंटल हेल्थ विभाग के निदेशक डॉ. समीर पारिख का कहना है कि सोशल मीडिया का नशा कुछ हद तक ड्रग्स के नशे जैसा है, लेकिन यह थोड़ा अलग है। इसमें व्यक्ति का खुद पर नियंत्रण नहीं रहता। हेल्थेनाब्लर के टेलीहेल्थ वेंचर पोक्कारे के साइकोलॉजी क्लिनिकल ऑपरेशंस के डॉ. वीरेंद्र यादव कहा कि सोशल मीडिया का नशा और अन्य नशा के बीच काफी समानता देखी जा सकती है। खासतौर से व्यवहार संबंधी व भावुकता संबंधी समस्याएं।

लेकिन क्या फेसबुक के नशे से छुटाकारा पाना अन्य किस्म के नशे की अपेक्षा आसान है? डॉ. मल्होत्रा का कहना है कि यह व्यक्ति विशेष और उस पर पड़े प्रभाव पर निर्भर करता है। डॉ. पारीख का कहना है कि किसी भी प्रकार के नशे से छुटकारे के लिए विशेषज्ञों की मदद लेना अतिआवश्यक है। तो निष्कर्ष यह है कि सोशल मीडिया का इस्तेमाल करें, लेकिन इसकी अति ना करें और अपने जीवन पर इसे हावी ना होने दें। असली संबंधों को साइबर दुनिया की अपेक्षा ज्यादा वक्त दें। ऐसा विशेषज्ञों का कहना है।

=>
=>
loading...